Guru aur Shikshak Main Antar by shrimali ji

Guru aur Adhyapak Main Bhed

Guru aur Shikshak Main Antar by shrimali ji

Difference Between Teacher & Guru

आज काफ़ी सारी पोस्ट गुरू पूर्णिमा पर देखीं, एक दो लोगों की टाइम लाइन पर ये सवाल था की, शिक्षक और गुरू में क्या फ़र्क़ होता है? तो सवाल अच्छा लगा तो सोचा मेरा जवाब या सोच आप लोगों से साझा कर लूँ 
 
शिक्षक – शिक्षक आपको केवल आपको इतना ज्ञान दे सकता है जितना उसने ख़ुद पढ़ रखा है,उसके पढ़ाने का अनुभव भी आपको मिल सकता है,पर वो ज्ञान की सीमा के बाहर नहीं जा सकता, और अगर कोई विद्यार्थी उस शिक्षक से ये पूछ ले की इससे आगे क्या ? तो जवाब मै नहीं जानता, या आपके कोर्स में इतना ही है.. ये मिलें !!
 
गुरू – गुरू और शिष्य में ऐसा नहीं होता, गुरू पहले अपना ज्ञान देता है,फिर अपना अनुभव,और फिर अगर शिष्य पूछे की इससे आगे क्या?? तो वह गुरू उसके लिए मार्ग भी बनाता है और साथ भी चलता है, की चल देखते हे .. इससे आगे क्या !!!
शिक्षक ऐसा नहीं करता।
 
इसलिए आज तक किसी लड़ाई को देख लें, गुरू शिष्य की साथ लड़ता है। गुरू का ज्ञानी होना इतना ज़रूरी नहीं, उसका अनुभवी होना ज़रूरी होता है, और जो वास्तव में गुरू होता है,वह हमेशा अपने चेले को अपने से बेहतर देखना चाहता है।
उस्ताद और सगिरद भी लगभग वही आते है।पर उर्दू का उस्ताद ज़िन्दगी जीने का जुगाड़ भर तैयार कर सकता है या हुनर सिखा सकता है।
 
वो प्रयोग नहीं करता। प्रयोग केवल गुरू करता हे, अपने चेले(शिष्य) की सफलता या कामना के लियें । कभी ख़ुद पर तो कभी अपने शिष्य पर। गुरू जीत की गारण्टी नहीं देता, पर साथ खड़े रहने की गारण्टी पूरी देता है। और गुरू की इस गारण्टी से शिष्य में जागता है।
 
ख़ुद पर भरोसा!!! और कहते है…
भरोसे पर दुनिया क़ायम है।
 
गुरू पूर्णिमा व आगामी सावन मास की आप सभी को मेरी और से बहुत बहुत बधाई ।
आपका : राजेश श्रीमाली
बाक़ी गुरू की करनी गुरू भरेगा, चेले की करनी चेला।

Rajesh Shrimali

Expert in Vedic Astrologer, Kudali Vishleshan, Numerology & Horoscope Consultation

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Counsel him for the guidance & be master you need in your life, be it for getting an answer for the issues you face in any social status or the best approach to develop with positive vibes.

dukh

pain / दुःख / 9 major pains in human life

dukh

What is sorrow? Stages of Grief

दुःख क्या है? दुःख के चरण – दुःख के 9 चरण हैं।
1.कर्ज (ऊधार न चुका पाना)
2.मर्ज (बीमारी -तन व मन दोनो से जुड़ी)
3.मात्त शोक(मां की मौत)
4.भ्राया वियोग (पत्नी का साथ रहते किसी और से सम्बन्ध)
5.अनसख: (सामने होते पा ना पाना,पद, पुरूष इत्यादि या अकेलापन)
6.बांझ: संतान पैदा ना कर पाना
7.सनन : भाई या पति की मौत का अचानक समाचार आना
8: तनुज बोध: बेटी/बेटे की निरंतर चिंता या असफलता
9. बोध कंध: बेटे की लाश को कांधा देना या उसकी चिंता को जलते देखना।
दुःख अपने चरण- कुण्डली,भाव व दशा अनुसार बदलता है।
चरण उल्टे क्रम में मानें ।9से 1की ओर।

अनसख अपनी बात ना समझा पाना या ना कह पाना का भी घोतक है

Rajesh Shrimali

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Delay in Marriage astrology by rajesh shrimali ji best astrologer in jodhpur-min

Seventh House / सातवाँ घर / Matrimonial Dispute

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सातवाँ घर… कुंडली के बारह भावों में सबसे महत्वपूर्ण भाव,ये घर ही तय करता है की आपको कैसी पत्नी/पति मिलने वाला है।। फिर ये ही भाव तय करता है की आपका जीवनसाथी कैसा होगा या है,सातवें भाव पर एक आदमी या औरत का बहुत कुछ टिका होता है।। जीवनसाथी सही तो सब सही..कई कुंडलियाँ को बिना मिलाये शादियाँ होती है।सातवें भाव के सही होने के बावजूद कुंडलियाँ आपस में नही मिलती जिससे आपस में लड़ाई-झगड़े,मारपीट रोज़ का काम हो जाता है।। विवाह पश्चात के प्रेम सम्बंध,तलाक़ आम हो गया है।।
 
भारत में लाखों केस तलाक़ के लिए अदालतों में लम्बित है,लाखों तैयारी में है।। एक कुंडली का एक भाव बहुत होता है।। गणना के लिए.. सुखी या दुखी.. तय करने के लिए।। अब इसके अलावा एक और समस्या जो दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है..विवाह में देरी..सही जीवनसाथी तक पहुँच ना हो पाना!! तो आइये.. देखते है आपको सही और सटीक जीवनसाथी कब और कैसे मिलें,क्यों हो रही है,शादी में देरी. क्या कहती है..आपकी कुंडली.. और क्या कहता है..आपकी कुंडली का सातवाँ घर ?
 
आपका : राजेश श्रीमाली
गुनाह तेरा भी नहीं, ग़लत में भी नहीं..
फिर क्या वजह…
तू वहाँ,मैं यहाँ ।।
वजह.. मैं बताऊँगा..
भरोसा रखिये,भरोसा किजियें..भरोसे पर दुनिया टीकी है

Rajesh Shrimali

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