“Saturn” is not an enemy, it is friend

“Saturn” is not an enemy, it is friend

शत्रु नहीं हमारे मित्र हैं ‘शनि’ | Saturn (Shani) - Our Worst Enemy or Best Friend? | “Saturn” is not an enemy, it is friend by Artrologer Shrimali Ji

 “Saturn” is not an enemy, it is friend by Artrologer Shrimali Ji: शनि का नाम सुनते ही कईयों को चक्कर आने लगते है। और मै जैसे ही किसी को कहता हूँ- आपको शनि की साढ़ेसाती चल रही है या आपको शनि की ढयया चल रही है तो उनके चेहरे का रंग बदल जाता है.. आखिर ऐसा क्यों!! शनि को लेकर लोग इतने भयभीत और चिंतित क्यों हो जाते है जबकी दुनियाँ के सबसे ज़्यादा उघोग और व्यापार शनि के नियंत्रण में है और आपको जानकर आश्चर्य होगा की दुनियाँ में अरबपति बनने वालो की संख्या में से 30%लोगो ने शनि की साढ़ेसाती लगने पर उस मुक़ाम को पाया है।

तो आईये एक नज़र शनि का नियंत्रण किन-किन उद्यमों पर है। सबसे पहला-निर्माण लोहा, लकडी, सिमेंट, ईंट, पत्थर, खनिज, खान, हार्डवेयर, तेल, कागज, रेल, ट्रांसपोर्ट, बैंक, इंसोरेस, कबाड़ी, अख़बार, किराये से आय। ये मुख्य व्यापार है उघोग है।जो शनि के नियंत्रण में रहते है।

और अब अगर बात करूँ नौकरियों की तो जो भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इन कारोबारों से जुडे है वे सभी भी शनि के अधिन ही आते है,इसके अलावा चार्टड एकाउंटेंट, एकाउंटेंट,वकील,जज,स्टाम्प वेंडर,बैंक कर्मी, पंचायत व न्यायालयों मे काम करने वाले, कम्प्यूटर का काम करने वाले भी शनि के अधिन ही आते है तो आपका सवाल होगा की तो फिर बचा क्या?

ठीक सोचा आपने- लगभग जो आधी दुनियाँ के काम-काज जो है वो शनि के अधिन ही है।मज़दूर और ठेला चलाने वालों पर भी शनि का ही नियंत्रण है। तो इतने लोगों को काम देने वाला शनि आपका शत्रु कैसे हो सकता है वो आपको काम तो दे ही रहा है। उच्च का होकर उच्चतम देगा और नीच का होकर नीचतम देगा वो कैसे मै समझाता हूँ-

यदि किसी की कुंडली मे शनि उच्च का है तो वो आदमी खनिज विभाग में उच्च अधिकारी बनेगा और शनि नीच का हो जाये तो वो खान में मज़दूर होगा, परन्तु ये तय है शनि किसी को बेरोज़गार नही रखता, कर्महिन नही रखता।शनि न्याय के देवता है। ग्रहों मे उन्हें न्यायाधीपति की उपाधी प्राप्त है। और एक बात और शनि कुंडली के जिस घर जिस भाव में बैठता है उस भाव को कभी हानि नही देता है।उस घर को कभी ख़राब नही होने देता है।शनि अपने भाव के पुरे फल उस जातक को देता है।

शनि रोग भाव में बैठकर आदमी को रोगी नही होने देता।आठवें बैठकर जातक की अकाल मौत नही होने देता। परन्तु नीच के फल देने पर जेल करवाता है।क़ानूनी कार्रवाई में फँसा रखता है। जितना ज़रूरी हो उतना ही धन देता है। उच्च का शनि होने पर शनि की दशा आदमी को शिखर पर पहुँचा देती है।अकेला शनि अगर कुंडली में अच्छी स्थिति में हो तो वो पुरी कुंडली को अच्छा कर सकने की ताकत रखता है।

शनि पुत्र संतति के कारक ग्रहों में माना जाता है।शरीर मे हड्डियों और दांतों पर घुटनों पर उसका पुरा नियंत्रण है। तो आप ही बताइये- शनि मित्र है की शत्रु!! आप भी शनि की दशा,शनि की साढ़ेसाती भोग रहे है तो अपनी कुंडली को श्रीमाली जी को दिखाकर शनि के अनुसार अपने आप को ढालकर मनचाहा परिणाम पा सकते है।

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